अध्याय 3 धुंध में बसी स्मृतियां (खिड़की के बाहर देखते हुए अरुण की आँखों में एक गहरी बेचैनी तैर रही थी। खिड़की के बाहर धुंध थी... वैसी ही धुंध, जैसी अरुण के मन में थी। आज उस धुंध ने उसे फिर अपने वर्त…
अध्याय 2 धुंध के उस पार (अपनी इन पुरानी यादों के बाद अरुण के आंसू थम नहीं रहे थे, उसकी आँखों में बरसों का जमा दर्द और असमर्थता झलक रही थी। वह कुर्सी से उठकर शीशे के सामने खड़ा हो जाता है। उसकी आँखों…
अध्याय 1 धुंध में खोया चेहरा (दोपहर का समय सपने में कक्षा का दृश्य कमरे में शांति और मन को विचलित कर देने वाला सन्नाटा पसरा है। कक्षा में सभी छात्र अपनी अपनी जगह पर गणित का पेपर देने बैठे हैं। अरुण ग…
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