अध्याय 2: अंधविश्वास की दरार बडकोट की गलियों में अब सिर्फ गायों की घंटियों की आवाज़ या विद्यालय में बच्चों की प्रार्थना की आवाज नहीं थीं — अब वहाँ चर्चा थी, बहस थी, और फुसफुसाहटें थीं। "कृपाल बा…
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