लघु उपन्यास "ध्यान सभा" अध्याय 1 अधूरी नींद

अध्याय 1 अधूरी नींद

अमित की आँखों में अजीब-सी थकावट पसरी हुई थी। मानो महीनों से नींद और उसकी मानसिक शांति का रिश्ता टूट गया हो। छह महीने से अधिक समय बीत चुका था, परंतु उसे याद ही नहीं कि आख़िरी बार उसने कब चैन की नींद सोई थी। हर रात वह अपने एक नए संघर्ष से  जुझ रहा था जैसे अंधेरे में भटकाता हुआ मन रोशनी के लिए जुझता है, लेकिन उसे रोशनी की कोई राह न मिलती। वैसे ही कई वर्षों से वह न तो चैन की नींद सो पाया है और न ही मानसिक सुकून पा सका है। उसने कई नशे और नींद लाने वाले ड्रग्स ईस्तेमाल किए लेकिन किसी से फायदा नहीं मिला।

एक दिन उसने डॉक्टर से कहा—

"यह बीमारी मुझे मार डालेगी, मैं अब और सहन नहीं कर सकता।"

डॉक्टर ने शांत स्वर में उत्तर दिया—

"अमित, अनिद्रा (Insomnia) से किसी की मृत्यु नहीं होती। यह केवल तुम्हें अंदर से कमजोर कर देता है, थका देता है, परंतु शरीर का संबंध जीवन से नहीं काटता। तुम्हें केवल एक अच्छी नींद की आवश्यकता है।"

अमित के भीतर क्षणभर के लिए आक्रोश जागा। उसे लगा जैसे डॉक्टर उसकी पीड़ा को समझ ही नहीं रहा। उसके लिए यह केवल ‘नींद’ का अभाव नहीं था, यह उसके जीवन का प्रश्न था—मानो उसके जीवन से मानसिक सुकून खत्म हो गया हो। चैन की नींद पाने के लिए वह डॉ से मिलने आता है। लेकिन आज डॉ भी उसे नहीं समझ पा रहा।

तभी डॉक्टर ने उसके कंधे पर हाथ रखकर धीमे स्वर में कहा—

"तुम्हें लगता है कि तुम्हारी समस्या दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है... पर आज शाम तुम ‘डिप्रेशन’ के रोगियों से मिलो। वहाँ तुम्हें दिखेगा कि मनुष्य केवल नींद खोकर नहीं टूटता, बल्कि अंदर की गहरी उदासी, अकेलापन और मानसिक अलगाव उनके मन और जीवन की गहरी परतों को तोड़ देता है।"

अमित की आँखों में प्रश्न और आशंका दोनों थे। शायद उस शाम उसके सामने जीवन का कोई नया अनुभव आने वाला था।

अमित, जो हर मुमकिन कोशिश कर चुका था, इस बार सोच बैठा—“चलो, इसे भी करके देख लेते हैं।”

उस रात वह डिप्रेशन के मरीजों से मिलने गया। उस सभा में उसकी मुलाकात देव से हुई।

देव पहले एक बॉडीबिल्डर हुआ करता था, लेकिन स्टेरॉयड और ड्रग्स की ओवरडोज़ ने उसका शरीर बुरी तरह प्रभावित कर दिया था। उसकी बॉडी में अत्यधिक एस्ट्रोजेन पाया गया था, जिससे उसके स्तन उभर आए और पहलवान जैसा शरीर अब औरत जैसा बन गया।


सभा में अमित को एक सफेद वस्त्र पहने बाबा दिखाई दिए। जो कुछ देर बाद गायब हो गया हालांकि, अमित के लिए यह आम दृश्य था—नींद की कमी और मानसिक थकान के कारण उसे अक्सर ऐसी चीजें दिखाई दे जाती थीं।

उसके बाद उन्हें अपनी तकलीफें एक दूसरे को बताकर एक दूसरे के गले लग कर रोना था। उसके बाद देव, अमित के पास आकर अपनी तकलीफें अमित से साझा की देव अपनी दुःख भरी कहानी सुनाकर अमित के गले लगकर रोने लगा। कुछ देर बाद, अमित भी बिना किसी संकोच के खूब रोया। यह उसके जीवन में पहली बार था जब उसने खुद को खुलकर रोने दिया। उसका मन हल्का हो गया, जैसे भीतर जमा हर दर्द बाहर निकल गया हो।

और फिर, ऐसा हुआ जिसकी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। उस रात, शराब पीकर घर लौटने के बाद वह इतनी गहरी नींद में सो गया कि उसे होश तक नहीं रहा। वर्षों की थकान और बेचैनी से पहली बार वह मुक्त हो गया।

उसके बाद जब भी वह वहां जाता, उसे अपनी गहरी नींद पाने के लिए अब किसी और उपाय की जरूरत नहीं पड़ती—सिर्फ डिप्रेशन के मरीजों से मुलाकात, उनकी कहानियों का असर और सुकून की नींद लाने वाले ड्रग्स ही उसके लिए पर्याप्त थे। धीरे-धीरे उसके शरीर और मन दोनों ने राहत पाई।

अमित के लिए हर शाम ऐसे बीतती थी जैसे हर दिन अपने अंदर के राज से मरना, और फिर किसी नए शरीर में जन्म लेना। सब कुछ सही चल रहा था, जैसे उसके जीवन में संतुलन धीरे-धीरे लौट रहा हो।

लेकिन तभी कुछ हुआ जो उसकी पूरी ज़िंदगी बदलने वाला था।एक दिन वहाँ पूजा नाम की लड़की आई। उसे कोई बीमारी नहीं थी। वह बस फ्री चाय-बिस्कुट और समय बिताने के लिए सभा में आती थी। अमित ने देखा कि पूजा हर तरह के मानसिक मरीजों के ग्रुप में बैठकर उनकी बातें ध्यान से सुनती थी।

पूजा को देखकर अमित के भीतर अचानक एक अजीब सा डर जागा—उसमें उसने शैतान की परछाई देखी। यह वही शैतान था जो उसके अंदर हमेशा छुपा रहता था। क्योंकि सच कहें तो, वह भी पूजा की तरह अक्सर ग्रुप के सामने अपनी झूठी कहानियाँ सुनाता था, अपनी पीड़ा को दिखाकर दूसरों की सहानुभूति जीतने की कोशिश करता था।

और तभी, अचानक, उसके सारे जज़्बात धुँधले पड़ गए। उसके आँसूं बहना बंद हो गए। मन में जो हल्कापन और शांति थी, वह छिन गई। और सबसे दर्दनाक—उसकी नींद न आने की बीमारी फिर लौट आई।

क्रमशः 

- अरुण चमियाल 


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